Diwali Lakshmi Puja - 2016
Sunday, 30 October, 2016
दीवाली पूजा विधि :
स्थिर लग्न (वृ्षभ राशि) ---- 18:27 से 20:22
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पूजन-सामग्री:
* कलश में मौली बांधकर
रोली से स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करें।
* तत्पश्चात श्री गणेश
जी को, फिर उसके बाद लक्ष्मी जी को तिलक करें और
पुष्प अर्पित करें।
** महालक्ष्मी पूजन विधि **
* तदुपरान्त
हाथ में लाल कमल पुष्प लेकर निम्न मंत्र देवी लक्ष्मी का ध्यान करें।
किसी पात्रमें 11, 21 या उससे अधिक दीपों को प्रज्वलित कर महालक्ष्मी जी के समीप रखकर उस दीप-ज्योति का “ओम दीपावल्यै नमः” इस नाम मंत्रसे गन्धादि उपचारोंद्वारा पूजन करें।
* आरती
* गणेश जी, लक्ष्मी जी और भगवान जगदीश्वर जी की आरती करें
* पुष्पान्जलि
उसके बाद पुष्पान्जलि अर्पित करें, क्षमा प्रार्थना करें।
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे |
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे |
ॐ जय जगदीश हरे ||
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का |
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का |
ॐ जय जगदीश हरे ||
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी |
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी |
ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी |
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी |
ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता |
मैं मूरख फलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता |
ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति |
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति |
ॐ जय जगदीश हरे ||
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे |
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे |
ॐ जय जगदीश हरे ||
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप हरो देवा |
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा |
ॐ जय जगदीश हरे ||
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Sunday, 30 October, 2016
दीवाली पूजा विधि :
दीवाली के दिन की विशेषता
लक्ष्मी जी के पूजन से संबन्धित है। इस
दिन हर घर, परिवार, कार्यालय
में लक्ष्मी जी के पूजन के रुप में उनका स्वागत
किया जाता है। दीवाली के दिन जहां
गृहस्थ और वाणिज्य वर्ग के लोग धन
की देवी लक्ष्मी से समृद्धि और वित्तकोष
की कामना करते हैं, वहीं साधु-संत
और तांत्रिक कुछ विशेष सिद्धियां
अर्जित करने के लिए रात्रिकाल में
अपने तांत्रिक कर्म करते हैं।
मुहूर्त :
(1) प्रदोषकाल -रात्रि 18:27 बजे से रात्रि 20:09 तक --
विशेष रूप से श्री गणेश , श्री महालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन, बसना अर्थात Accounts Books बही खातो का पूजन, दीपदान, अपने आश्रितों को Sweets, Gifts आदि बांटना तथा धर्मस्थलो पर दानादि करना कल्याणकारी होगा।
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(2) निशीथ काल --
निशीथ काल में श्री गणेश पूजन, नवग्रह पूजन, स्तोत्र, काम्य मंत्रों के जपानुष्ठान तथा ब्रह्मणो को यथा शक्ति वस्त्र, फल, अनाज धन आदि का दान करना शुभ होता है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ (3) महानिशीथकाल--
दीपावली पूजन महानिशीथकाल में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। महानिशीथकाल में मुख्यतः, ज्योतिषविद, वेद्पाठी, विद्वान, ब्राह्मण, अघोरी, विधिवत, यंत्र मंत्र तंत्र द्वारा, विभिन्न शक्तियों का पूजन करते हैं एवं उनका आवाहन करते हैं।
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प्रदोष काल मुहूर्त:
(1) प्रदोषकाल -रात्रि 18:27 बजे से रात्रि 20:09 तक --
विशेष रूप से श्री गणेश , श्री महालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन, बसना अर्थात Accounts Books बही खातो का पूजन, दीपदान, अपने आश्रितों को Sweets, Gifts आदि बांटना तथा धर्मस्थलो पर दानादि करना कल्याणकारी होगा।
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(2) निशीथ काल --
निशीथ काल में श्री गणेश पूजन, नवग्रह पूजन, स्तोत्र, काम्य मंत्रों के जपानुष्ठान तथा ब्रह्मणो को यथा शक्ति वस्त्र, फल, अनाज धन आदि का दान करना शुभ होता है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ (3) महानिशीथकाल--
दीपावली पूजन महानिशीथकाल में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। महानिशीथकाल में मुख्यतः, ज्योतिषविद, वेद्पाठी, विद्वान, ब्राह्मण, अघोरी, विधिवत, यंत्र मंत्र तंत्र द्वारा, विभिन्न शक्तियों का पूजन करते हैं एवं उनका आवाहन करते हैं।
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प्रदोष काल मुहूर्त:
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त ------------- 18:27 से 20:09
अवधि ----------------------------- 1 घंटा 42 मि०
प्रदोष काल -----------------------17:33 से 20:09 स्थिर लग्न (वृ्षभ राशि) ---- 18:27 से 20:22
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Pradosh Kaal Muhurat:
Lakshmi Puja Muhurta = 18:27 to 20:09
Duration = 1 Hour 42 Mins
Pradosh Kaal = 17:33 to 20:09
Vrishabha Kaal = 18:27 to 20:22
Amavasya Tithi Begins = 20:40 on 29/Oct/2016
Amavasya Tithi Ends = 23:08 on 30/Oct/2016
Mahanishita Kaal Muhurat:
Lakshmi Puja Muhurta = None
Duration = 0 Hours 0 Mins
Mahanishita Kaal = 23:38 to 24:31+
Simha Kaal = 24:57+ to 27:14+
Amavasya Tithi Begins = 20:40 on 29/Oct/2016
Amavasya Tithi Ends = 23:08 on 30/Oct/2016
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Fixed Lagna Lakshmi Puja Timings:
Vrishchika Lagna Muhurat = 07:54 to 10:13 (morning)
Duration = 2 Hours 18 Mins
Kumbha Lagna Muhurat = 13:59 to 15:27 (afternoon)
Duration = 1 Hour 27 Mins
Vrishabha Lagna Muhurat = 18:27 to 20:22 (evening)
Duration = 1 Hour 55 Mins
Amavasya Tithi Begins = 20:40 on
29/Oct/2016
Amavasya Tithi Ends = 23:08 on
30/Oct/2016
Auspicious Choghadiya Muhurat for Diwali Lakshmi Puja:
Morning Muhurta (Char, Labh, Amrit) = 07:58 - 12:05
Afternoon Muhurta (Shubh) = 13:27 - 14:49
Evening Muhurta (Shubh, Amrit, Char) = 17:33 - 22:27
Note - 24-hour clock with local time of Delhi & DST adjusted for
all Muhurat timings (if applicable)
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30 October 2016 में प्रदोष
काल में स्थिर लग्न (वृ्षभ राशि) रात्रि 17:33 से 20:09 बजे तक रहेगा। इसलिये रात 17:33 से 20:09 तक का प्रदोष
काल विशेष रूप से श्री गणेश, श्री
महालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजन, व्यापारिक
खातों का पूजन, दीपदान, अपने
सेवकों को वस्तुएं दान करने के लिये
शुभ रहेगा। प्रदोष काल मंदिर
मे दीप दान, रंगोली और पूजा की पूर्ण तयारी कर लेनी चाहिए। इसी समय मे मिठाई वितरण कार्य भी संपन्न कर लेना चाहिए। द्वार प़र स्वस्तिक और शुभ लाभ का सिन्दूर से निर्माण भी इसी समय करना चाहिए।
पूजा की सामग्री:
- 1. लक्ष्मी व श्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में)
- 2. केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग.
- 3. सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 11 दीपक
- 4. रूई तथा कलावा, नारियल और तांबे का कलश चाहिए.
पूजा की तैयारी :
चौकी पर
लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व
या पश्चिम में रहें।
लक्ष्मी जी,गणेश जी की दाहिनी ओर रहें. पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे. कलश को लक्ष्मीजी
के पास चावलों पर रखें.
नारियल को लाल वस्त्र में इस
प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग
दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें. यह
कलश वरुण का प्रतीक है.
लक्ष्मीजी की ओर श्री का चिह्न बनाएँ.
गणेशजी की ओर त्रिशूल का चिह्न बनाएँ , चावल
का ढेर लगाएँ. सबसे नीचे
चावल की नौ ढेरियाँ बनाएँ. छोटी चौकी
के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश
रखें. तीन थालियों में निम्न सामान रखें.
* ग्यारह
दीपक(पहली थाली में)
* खील,
बताशे, मिठाई,
वस्त्र, आभूषण,
चन्दन का लेप सिन्दूर कुंकुम,
सुपारी, पान
(दूसरी थाली में)
* फूल,
दुर्वा चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का
लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती,
एक दीपक. (तीसरी थाली में)
इन थालियों के सामने पूजा करने वाला स्वयं
बैठे. परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें. शेष सभी परिवार के सदस्यों के पीछे
बैठे.
पूजन विधि :
* दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में घर में या दुकान में, पूजा घर के सम्मुख चौकी बिछाकर उस पर लाल वस्त्र बिछायें।
* उस पर गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें तथा चित्र को पुष्पमाला
पहनाएं।
* पास ही किसी पवित्र
पात्रमें केसरयुक्त चन्दनसे अष्टदल कमल बनाकर उसपर द्रव्य-लक्ष्मी (रुपयों) को भी
स्थापित करें।
* गणेशजी के दाहिनी ओर लक्ष्मी जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा करें।
* चौकी के दायीं ओर घी
का दीपक प्रज्जवलित करें।
* पूजन-सामग्री को यथास्थान रख ले।
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पूजन-सामग्री:
- 1.लक्ष्मी
व श्री गणेश की मूर्तियां (बैठी हुई मुद्रा में)
- 2. केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, शहद, सिक्के, लौंग.
- 3. सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, 11 दीपक
- 4. रूई
तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश चाहिए.
* जल
से भरा कलश भी चौकी पर रखें।
* कलश में मौली बांधकर
रोली से स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करें।
* पूजन के लिये पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें।
* इसके पश्चात धूप, अगरबती और 5 दीप शुध्द घी के और
अन्य दीप तिल का तेल /सरसों के तैल से प्रज्वलित करें।
*
{लक्ष्मी पूजा में तिल
का तेल का उपयोग ही श्रेष्ठ होता है | अभाव में सरसों का
इस्तमाल कर सकते है |}
* तत्पश्चात श्री गणेश
जी को, फिर उसके बाद लक्ष्मी जी को तिलक करें और
पुष्प अर्पित करें।
* इसके पश्चात हाथ में
पुष्प, अक्षत, सुपारी, सिक्का
और जल लेकर संकल्प करें।
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** संकल्प Sankalp
मैं (अपना नाम ), सुपुत्र श्री (पिता का नाम ), जाति(अपनी जाति ),
गोत्र
(अपना गोत्र), पता (अपना पूरा पता)
अपने परिजनों के साथ जीवन को समृद्धि से परिपूर्ण करने
वाली माता महालक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करने के लिये कार्तिक
कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन महालक्ष्मी पूजन कर रहा हूं। हे
माँ, कृपया मुझे धन, समृद्धि और ऐश्वर्य देने की कृपा करें। मेरे इस पूजन में स्थान
देवता, नगर देवता, इष्ट देवता कुल देवता और गुरु देवता सहायक हों तथा मुझे
सफलता प्रदान करें।
यह
संकल्प पढ़कर हाथ में लिया हुआ
जल, पुष्प और अक्षत आदि
श्री गणेश - लक्ष्मी जी के समीप छोड़ दें।
सबसे
पहले गणेश जी का पूजन कीजिए ।
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** महालक्ष्मी पूजन विधि **
* तदुपरान्त
हाथ में लाल कमल पुष्प लेकर निम्न मंत्र देवी लक्ष्मी का ध्यान करें।
* आसन
के लिए कमल पुष्प अर्पित करें
* अष्टगंध
से मिश्रित जल से-देवी को स्नान कराएं
* देवी
को पंचामृत घी,
शहद, दुग्ध, शर्करा, दही स्नान कराए
* शुद्धोदक
स्नान कराएं
* देवी
को वस्त्र, आभूषण, गंध, रोली-चंदन, सिंदूर, कुमकुम, पुष्प एवं पुष्पमाला
अर्पित करें
{हल्दी की गांठ या
गुड़ भी अर्पित किया जाता है।}
* देवी
को धूप-दीप दिखाएं
* किसी
कटोरी में पान के पत्ते के ऊपर नैवेद्य प्रसाद रखें तथा उस पर लौंग का जोड़ा अथवा
इलायची रखें
* तदुपरांत
देवी को उक्त समस्त सामग्री अर्पित करें-
* जल
अर्पित करें।
* देवी को ऋतुफल और दक्षिणा अर्पित करें
* आरती, पुष्पाज्जलि और
प्रदक्षिणा करें
* महालक्ष्मी
के समक्ष पूजन कर्म को समर्पित करें और इस निमित्त जल अर्पित करें
* उक्त
प्रक्रिया के पश्चात देवी के समक्ष दण्डवत प्रणाम करें तथा अनजाने में हुई
त्रुटियों के लिए क्षमा मांगते हुए, देवी से सुख-सम़ृद्धि , आरोग्य तथा वैभव की
कामना करें।
* इसके बाद एक एक कर के गणेशजी, माँ सरस्वती जी (Accounts
Books/Register/Baheekhaata), माँ काली जी (Ink Pot Poojan ), धनाधीश कुबेर Lord Kuber(Tijori/Galla), तुला मान की पूजा
करें।
* यथाशक्ति भेंट, नैवैद्य, मुद्रा, वस्त्र आदि अर्पित करें।
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दीपमालिका पूजन
किसी पात्रमें 11, 21 या उससे अधिक दीपों को प्रज्वलित कर महालक्ष्मी जी के समीप रखकर उस दीप-ज्योति का “ओम दीपावल्यै नमः” इस नाम मंत्रसे गन्धादि उपचारोंद्वारा पूजन करें।
· *
दीपमालिकाओं का पूजन कर अपने आचार के
अनुसार संतरा, ईख, पानीफल, धानका लावा इत्यादि पदार्थ चढायें।
· *
धान का लावा (खील) गणेश, महा लक्ष्मी जी तथा अन्य सभी देवी देवताओं को भी अर्पित
करें।
·
* अन्त में अन्य सभी दीपकों को प्रज्जवलित कर सम्पूर्ण गृह
अलन्कृत करें।
· * मंदिर, तुलसी
माता, पीपल आदि के पास दीपक अवश्य जलायें।
*दीपावली पूजन के पश्चात गृह में एक चौमुखा दीपक रात भर जलता रहना लक्ष्मी एवं सौभाग्य में वृध्दि का प्रतीक माना जाता है।
*दीपावली पूजन के पश्चात गृह में एक चौमुखा दीपक रात भर जलता रहना लक्ष्मी एवं सौभाग्य में वृध्दि का प्रतीक माना जाता है।
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* गणेश जी, लक्ष्मी जी और भगवान जगदीश्वर जी की आरती करें
* पुष्पान्जलि
उसके बाद पुष्पान्जलि अर्पित करें, क्षमा प्रार्थना करें।
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श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी .
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा .
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी .
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
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ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को
निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता....
ॐ जय
लक्ष्मी माता...।।
उमा रमा
ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
सूर्य
चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी
माता...।।
दुर्गा
रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता
जो कोई
तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता
ॐ जय
लक्ष्मी माता...।।
तुम पाताल
निवासिनी, तुम ही शुभ दाता
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि
की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
जिस घर तुम रहती सब सद्गुण
आता
सब संभव हो जाता, मन नहीं
घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न
कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे
आता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि
जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं
पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
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भगवान
जगदीश्वर जी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे |
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे |
ॐ जय जगदीश हरे ||
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का |
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का |
ॐ जय जगदीश हरे ||
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी |
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी |
ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी |
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी |
ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता |
मैं मूरख फलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता |
ॐ जय जगदीश हरे ||
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति |
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति |
ॐ जय जगदीश हरे ||
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे |
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे |
ॐ जय जगदीश हरे ||
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप हरो देवा |
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा |
ॐ जय जगदीश हरे ||
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