Shri Ganesh Sakat Chauth Vrat - 2017

Sakat Chauth - 2017

In 2017 Sakat Chauth will be celebrated on Sunday, January 15, 2017.


Moonrise On Sakat Chauth Day = 20:11
Chaturthi Tithi Begins = 11:39 on 15/Jan/2017
Chaturthi Tithi Ends = 11:15 on 16/Jan/2017
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In 2016 Sakat Chauth wascelebrated on Wednesday, January 27, 2016.


Moonrise On Sakat Chauth Day = 20:18
Chaturthi Tithi Begins = 09:55 on 27/Jan/2016
Chaturthi Tithi Ends = 11:57 on 28/Jan/2016

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In 2018 Sakat Chauth will be celebrated on Friday, January 5, 2018.

Moonrise On Sakat Chauth Day = 20:43
Chaturthi Tithi Begins = 21:31 on 4/Jan/2018
Chaturthi Tithi Ends = 19:00 on 5/Jan/2018
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  Sakat Chauth is also known as Sankat Chauth, Til-Kuta Chauth, Vakra-Tundi Chaturthi and Maghi Chauth.
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माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के इस व्रत को लोक प्रचलित भाषा में सकट चौथ कहा जाता है। इस दिन संकट हरण गणेशजी तथा चंद्रमा का पूजन किया जाता है, यह व्रत संकटों तथा दुखों को दूर करने वाला तथा सभी इच्छाएं व मनोकामनाएं पूरी करने वाला है। इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत करती हैं गणेशजी की पूजा करती हैं और कथा सुनने के बाद चंद्रमा को अर्ध्य देकर ही व्रत खोलती हैं।

माघ मास गणेश चौथ ( सकट-चौथ ) व्रत कथा :--

माघ मास कृष्ण - चतुर्थी को सकट का  त्यौहार मनाया जाता है । इस दिन संकट हरण गणेश जी का पूजन किया जाता है ।

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युधिष्ठिर बोले, “हे कृष्ण , माघ मास गणेश चौथ व्रत किस तरह और किस गणेश जी का पूजन करना चाहिए ।


श्री कृष्ण बोले, हे धर्मराज, पूर्वकाल में यही प्रश्न पार्वती जी ने गणेश जी से पूछा था ।


तब श्री कृष्ण जी ने युधिष्ठिर को माघ मास गणेश चौथ व्रत की महिमा बताने के लिए यह कथा सुनाई:--



एक बार पार्वती जी ने गणेश जी से पूछा, “हे पुत्र ! माघ मास में किस गणेश का पूजन करना चाहिए तथा क्या भोजन करना चाहिए ?”



श्री गणेश जी बोले, “हे माँ, इस माह में भालचन्द्र की सोलहपचार से पूजा करें, तिल के दस लड्डुओं का भोग लगावें तथा अपनी शक्ति के अनुसार ही दक्षिणा दें और दस लड्डू स्वयं खावें



कथा :--



सतयुग में हरिश्चन्द्र नामक एक धर्मात्मा साधु-सेवी सत्यवादी राजा थे, उनके राज्य में कोई दुखी न था । इसी राज्य में ॠषि शर्मा नामक एक ब्राह्मण रहते थे उनके एक पुत्र पैदा हुआ और कुछ समय बाद ब्राह्मण की मृत्यु हो गई। ब्राह्मणी दुखी होकर अपने पुत्र का पालन करने लगी और गणेश चौथ का व्रत भी करती थी ।



एक दिन उसका पुत्र गणेश प्रतिमा को लेकर खेलने को निकल गया । एक दुष्ट कुम्हार ने उस बालक को आवाँ में रख कर आग लगा दी । इधर जब लड़का घर नहीं आया तो ब्राह्मणी दुखी हुई और विलाप करती हुई गणेश जी से अपने पुत्र के लिए प्रार्थना करने लगी । कहने लगी, “ हे अनाथों के नाथ, मेरी रक्षा करो मैं आपकी शरण हूँ ”, इस प्रकार वह रात भर विलाप करती रही । 



प्रातःकाल कुम्हार आवाँ देखने आया तो उसने देखा कि आवें में पर्याप्त पानी भर रहा है । इस घटना को देख कर कुम्हार ने राजा के पास जाकर सभी समाचार सुनाया और बोला, “ नाथ,  मैंने अनर्थ किया है और मैं वध के योग्य हूँ । प्रभु, मैंने अपनी कन्या के विवाह के लिए बर्तनों का आवाँ लगाया था परन्तु बर्तन नहीं पके । मुझे एक चेटक जानने वाले ने बताया कि तुम किसी बालक की बलि दे दो तुम्हारा आवाँ पक जाएगा । सो मैंने इस बालक की बलि दी परन्तु अब इस आवें में पानी भर गया और वह बालक उसमें खेल रहा था । 



राजा उसके घर गए । उस समय  ब्राह्मणी वहाँआ गई और बालक को उठाकर कलेजे से लगा कर चूमने लगी । उसी समय राजा हरिश्चन्द्र  ब्राह्मणी से बोले, “तेरा पुत्र अग्नि में भस्म क्यों नहीं हुआ, ऐसा कौन सा व्रत तप योग करती है ”? ब्राह्मणी बोली, “ महाराज, मैं कोई भी विद्या नहीं जानती हूँ और न कोई तप करती हूँ । मैं संकटनाशक गणेशचौथ का व्रत करती हूँ । इसी व्रत के प्रभाव से मेरा पुत्र कुशलपूर्वक है



राजा बोले, “ आज से मेरी प्रजा भी इस व्रत को करे । समस्त नगर वासी गणेश चौथ का व्रत करने लगे ।



 श्रीकृष्ण जी युधिष्ठिर से बोले, “ हे धर्मराज, आप भी इस व्रत को करें, इस व्रत के प्रभाव से आपके सभी मनोरथ पूर्ण होंगे और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी



युधिष्ठिर ने इस व्रत को कर के अपना राज्य प्राप्त किया ।
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विधि:--



इस दिन स्त्रियाँ दिन भर निर्जल व्रत रख कर शाम को चन्द्रमा की पूजा करके फलाहार लेतीं हैं (बीमार या कमज़ोर स्त्रियाँ सात्विक भोजन लेती हैं)। चन्द्रमा में श्री गणेश जी का दर्शन किया जाता है।



दूसरे दिन सुबह सकट माता को चढ़ा गए पूरी-पकवानों को प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं ।



तिलकुट:--



तिल को साफ कर के भून कर गुड़ के साथ कूट लिया जाताहै । तिलकुट का बकरा भी बनाया जाता है । उसकी पूजा कर के घर का कोई बच्चा  तिलकुट के बकरे की गर्दन काट देता है । सबको इसका प्रसाद दिया जाता है । कुछ लोग तिल के लड्डू बना कर पूजा करते हैं ।   पूजा के बाद कथा सुनते हैं ।

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श्री गणेश जी की आरती
 
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी .
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा .
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी .
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥


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देवों में सर्वप्रथम पूजने का विधान देवों के देव महादेव शिव के पुत्र गणेश जी का है. गणेश जी को विघ्न विनाशक और बुद्धिदाता कहा जाता है. हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है क्योंकि श्री गणेश बुद्धि से सफलता देने वाले और विघ्नों को दूर करने वाले माने जाते हैं. हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं. गणेश जी के कई नाम हैं लेकिन हर नाम के साथ आस्था और भक्ति की अपनी ही कहानी है. गणपति आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग-अलग अवतार लिया.

भगवान शिव और माता पार्वती के प्रिय पुत्र गणेश की महिमा भी अपरंपार है.
गणेश जी की भक्ति और पूजा करने से इंसान को सभी सुखों की प्राप्ति होती है. चतुर्थी के दिन गणेश पूजन का विशेष फल प्राप्त होता है. गणेश जी को मोदक बहुत ही प्रिय होते हैं. बुद्धवार का दिन श्री गणेश की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. पूरी श्रद्धा और भक्ति से गणेश जी की पूजा करने से सभी कार्य सफल होते हैं.


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Jai Ganesh Deva Aarti

Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva
Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva (Chorus)
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva (Chorus)

Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva
Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva (Chorus)
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva (Chorus)

Ek dant dayavant, char bhuja dhari,
Ek dant dayavant, char bhuja dhari, (Chorus)
Mathe par tilak sohe, muse ki savari,
Mathe par tilak sohe, muse ki savari, (Chorus)
Ek dant dayavant, char bhuja dhari,
Ek dant dayavant, char bhuja dhari, (Chorus)
Mathe par tilak sohe, muse ki savari,
Mathe par tilak sohe, muse ki savari, (Chorus)

Pan chadhe, phul chadhe, aur chadhe meva
Pan chadhe, phul chadhe, aur chadhe meva (Chorus)
Ladduan ka bhog lage, sant kare seva
Ladduan ka bhog lage, sant kare seva (Chorus)

Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva
Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva (Chorus)
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva...
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva... (Chorus)

Andhan ko ankh det, kodhin ko kaya
Andhan ko ankh det, kodhin ko kaya (Chorus)
Banjhan ko putra det, nirdhan ko maya
Banjhan ko putra det, nirdhan ko maya (Chorus)
Andhan ko ankh det, kodhin ko kaya
Andhan ko ankh det, kodhin ko kaya (Chorus)
Baanjhan ko putra det, nirdhan ko maya
Baanjhan ko putra det, nirdhan ko maya (Chorus)
Soorya shaam sharan aye, safal kije seva.
Soorya shaam sharan aye, safal kije seva. (Chorus)

Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva...
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva... (Chorus)

Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva
Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva (Chorus)
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva...
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva... (Chorus)
Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva (Chorus)
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva... (Chorus)
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva... (Chorus)
Mata Jaki Parvati, Pita Mahadeva... (Chorus)


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