Mangala Gauri Puja - 2016

Mangala Gauri Puja - 2016

Shravana month is considered sacred to seek blessing of Lord Shiva and His consort Goddess Gauri by observing Vrats dedicated to them. 

Vrats like Shravana Somvar, Mangala Gauri are observed during Shravana month.

Devotees take Sankalp either to observe fast during Shravana month or to continue for sixteen weeks starting from Shravana month.

Mangala Gauri Vrat is observed by married women on each Tuesday in Hindu month of Shravana. 

Women, especially newly-wed, observe it to seek conjugal bliss from Goddess Gauri. Shravana month is also known as Sawan month in North India.

Mangala Gauri Vrat is also known as Sri Mangala Gowri Vratham in Andhra Pradesh.



Mangala Gauri Vrat Dates for Rajasthan, Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Punjab, Himachal Pradesh and Bihar
              

Date    Month       Day                   Vrat

26     July          (Tuesday)    Mangala Gauri Vrat 

02     August     (Tuesday)    Mangala Gauri Vrat 
09     August     (Tuesday)    Mangala Gauri Vrat 
16     August     (Tuesday)    Mangala Gauri Vrat

          
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Mangala Gauri Vrat Dates for Andhra Pradesh, Goa, Maharashtra, Gujarat, Karnataka and Tamil Nadu
          
                                                                           
Date    Month        Day                      Vrat

09     August     (Tuesday)     Mangala Gauri Vrat
16     August     (Tuesday)     Mangala Gauri Vrat
23     August     (Tuesday)     Mangala Gauri Vrat
30     August     (Tuesday)     Mangala Gauri Vrat


To know about Amavasyant and Purnimant Calendars go to following link:

http://festivalsofindia-bb-blog.blogspot.in/2013/08/north-indian-and-south-indian-lunar.html 

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   Mangala-Gauri Fast

  Mangala-Gauri fast is observed on every Tuesday of Shravan month. All Vrats of Shravan Masa increases the happiness and prosperity. As this fast is related to good fortune, it is observed by married women and newly married ladies. The motive behind this vrat(fast) is, wish for long and happy life of husband and child.

Women who’s Kundali have less of happiness in married life or have inauspicious Yogs like isolation after marriage etc., should observe this fast, especially. In context of this fast, it is believed that if this Vrat is done in a systematic manner then it increases the happiness and peace of the married life.


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Mangala Gauri Vrat (Fast) Materials for Pooja

The following materials are required for the fast:-

* 16 Garland of flowers,
* 16 fruits,
* 16 ladoo,
* 16 betel leaf,
* 16 betel nut,
* 16 cardamom,
* 16 cloves,
* 16 cumin,
* 16 coriander (all items should have a count of sixteen)
* 16 items of make up
* Sari
* 16 bangles and
* 5 types of dry fruits (16 each).
* Seven types of cereals (wheat, urad, moong, gram, barley, lobia, rice(16 each))

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How to Observe Mangala Gauri Fast:


* Ladies who want to do this fast should, take the resolution of this fast and start in from the first Tuesday of Shravan Mas. 
* On the first Tuesday, they should complete there routine work then place the picture or idol of Mangla-Gauri on a post and wrap it in a red colored cloth. 
* After this, a lamp is made of wheat flour,in which 4 wick are used made of 16 thread(Taar) of clothes.

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Procedure of Mangala Gauri Puja:

* Take bath early in the morning and start the Mangala-Gauri fast.
* Spread a clean piece of white, red cloth on a post (Chokey).
* On the white cloth, 9 planets are made using rice,and, on red cloth Shodash Goddess are made of wheat.
* On one the side of Chokey, flower and rice are kept, then the idol of Ganesha is placed.
* On the other side wheat is kept and urn is placed.
* Water is kept in urn.
* The four mouth lamp of flour is made and 16 thread wick of cloth is burnt.
* First of all Lord Ganesha is worshiped.
* In the Puja, Water, Roli, Molly, sandalwood, vermilion, betel nuts, Long, Pan, rice,flowers, cardamom, Bel leaf, fruits, nuts and alms are given to God.
* After that, urn is worshiped as like of Lord Ganesha.
* Then the 9 planets and 16 Goddesses are worshiped. all the Samagri offered to God is distributed among the Brahmans.
* The idol of Mangla-Gauri is washed with water,milk and made to wear clothes etc.
* Then Roli, sandalwood, vermilion(sindur), Menhandi and mascara is applied. 
* Mata is decorated with 16 items of make-up.
*16 types of flowera and leaves are offered, then dry fruits, betel nuts, Long, rosemary, mirror, comb and bangles are given.
* At the end, Mangala-Gauri Vrat story is read or heard.
* After the story, married lady gives 16 Ladoo to her mother in law and husband’s sister. 
* Then this Prasadm is given to Brahman also. 
* At the time of last Vrat, on second day that is wednesday, the idol of Mangala- Gauri is immersed(Visarjan) in sea or pond.

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मंगला गौरी व्रत:

श्रावण मास में जितने भी मंगलवार आएँ उनमे रखे गये व्रत गौरी व्रत कहलाते है ।  व्रत मंगलवार को रखे जाने के कारण मंगला गौरी व्रत कहलाते है ।
शास्त्रों में खास तौर पर स्त्रियों के लिए सावन मास के मंगल को सौभाग्य दायक बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार जो नवविवाहित स्त्रियां सावन मास में मंगलवार के दिन व्रत रखकर मंगला गौरी की पूजा करती हैं उनके पति पर आने वाला संकट टल जाता है और वह लंबे समय तक दांपत्य जीवन का आनंद प्राप्त होता हैं।  इस शुभ व्रत को करने से से दोष की शांति कर सकती हैं और दांपत्य जीवन को खुशहाल बना सकती हैं।

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मंगला गौरी व्रत कथा:

कुण्डिन नगर में धर्मपाल नामक एक धनी सेठ रहता था। उसकी पत्नी सती, साध्वी एवं पतिव्रता थी। परंतु उनके कोई पुत्र नहीं था। सब प्रकार के सुखों से समृद्ध होते हुए भी वे दम्पति बडे दुखी रहा करते थे। उनके यहाँ एक जटा- रुद्राक्ष मालाधारी भिक्षुक प्रति दिन आया करते थे। सेठानी ने सोचा कि भिक्षुक को कुछ धन आदि दे दें, सम्भव है इसी पुण्य से मुझे पुत्र प्राप्त हो जाय। ऐसा विचार कर पति की सम्मति से सेठानी ने भिक्षुक की झोली में छिपाकर सोना डाल दिया। परंतु इसका परिणाम उल्टा ही हुआ। भिक्षुक अपरिग्रहव्रती थे, उन्होंने अपना व्रत भंग जानकर सेठ सेठानी को संतानहीनता का शाप दे डाला।

फिर काफी प्रतीक्षा के बाद बहुत अनुनय- विनय करने से उन्हें माँ गौरी की कृपा से एक अल्पायु पुत्र प्राप्त हुआ। उसे गणेश ने सोलहवें वर्ष में सर्प दंशका शाप दे दिया। परंतु संयोग से उस बालक का विवाह ऐसी कन्या से हुआ, जिसकी माता ने मंगलागौरी व्रत किया था। उस व्रत के प्रभावसे उत्पन्न कन्या विधवा नहीं हो सकती थी। इससे सेठ के पुत्र की अकाल मृत्यु टल गयी तो उसे साँप ही डँस सका और ही यमदूत सोलहवें वर्ष में उसके प्राण ले जा सके। अतः इस प्रकार वह  बालक शतायु हो गया।



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व्रत की विधि:
*प्रात: नहा धोकर एक चौकी पर सफेद और लाल कपड़ा बिछाना चाहिए । 
*सफेद कपड़े पर चावल से नौ (9) छोटी-छोटी ढेरियाँ (नव ग्रह) बनाएँ तथा लाल कपड़े पर से सोलह (16) गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरियाँ (षोडश माताएँ = सोलह माताएँ) बनाएँ 
* उसी चौकी पर चावल रखकर उस पर गणेशजी की प्रतिमा रखें
*चौकी के ही एक तरफ चावल व फूल रखकर कलश स्थापित करें। 
*कलश में जल रखें 
*आटे का चौमुखी दीपक बनाकर 16-16 तार की 4बत्तियाँ डालकर जलाएँ
*इसके बाद अलग थाल में माता मंगला गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर स्थापित करें। 
* व्रत करने वाली स्त्री को माता मंगला गौरी की प्रतिमा को सामने रखकर संकल्प करना चाहिए कि वह संतान, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी का व्रत रख रही है।
* सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें 
* पूजन करके गणेश जी को जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, सुपारी, लौंग, पान, चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा, और दक्षिणा चढ़ाएँ
*इसके बाद कलश का पूजन करें।
* फिर नौ ग्रह की पूजा करें।
* फिर षोडश माता की पूजा करें 
* सब की पूजा गणेश पूजन की तरह पूजा करेंजनेऊ सिर्फ गणेश जी को चढ़ाएँ
* इसके बाद अलग चौकी में माता मंगला गौरी की मिट्टी की मूर्ति / चित्र को जल, दूध, दही आदि (या पंचामृत) से स्नान करवा कर वस्त्र पहनाकर रोली, चन्दन, सिन्दूर, मेंहदी व काजल लगाएँ 
* उन्हें सोलह प्रकार के फूल पत्ते चढ़ाएँ
* पाँच प्रकार के सोलह- सोलह मेवा,  सोलह लड्डू,  सोलह फल,  सोलह पान,  सोलह लौंग और सोलह लायची के साथ  सुहाग की सामग्री (मेंहदी, शीशा, कंघी व चूड़ियाँ आदि)  माता के सामने रखकर उनकी पूजा करें। फिर कथा पढ़ें और आरती करें
*कथा सुनकर लड्डुओं में से 16 लड्डू ब्राह्मण के लिए रख कर 16 लड्डू सासू माँ / ननद को दें। शेष प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
*सारा चढ़ावा, दक्षिणा और शेष सामग्री किसी ब्राह्मण को दें।
*सासू जी के पाँव छूकर एक समय एक अन्न खाने का विधान है। हो सके तो नमक न खाएँ
*अंतिम व्रत के अगले दिन (बुधवार) को मंगला गौरी की प्रतिमा / चित्र को नदी अथवा तालाब में विसर्जित करके बाद सामान्य शाकाहारी भोजन करना चाहिए।

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पुरूषों के लिए:
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस व्रत से मंगलिक योग का कुप्रभाव भी काम होता है। पुरूषों को इस दिन मंगलवार का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इससे उनकी कुण्डली में मौजूद मंगल का अशुभ प्रभाव कम होता है और दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।

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Mangala Gauri Vrat  Story:


A Long time ago, a merchant named Dharampal lived in a city. He had a very beautiful wife and sufficient wealth. But, they were not at all happy as they had no children. However, by the grace of God they obtained a son who was unfortunately short lived (Alpayu) as he was cursed of death by snake bite at the age of sixteen. But fortunately, he was married before he achieved that age (sixteen) with a girl whose mother observed the Mangala Gauri Vrat. As a result, she was blessed with a daughter who would never face widowhood. So, Dharampals son achieved a life span of hundred years.

Likewise, any person, especially married woman, who observes Mangala Gowri fast certainly achieves the long happy married life with full of happiness and prosperity.

Thus, all the newly married women should perform this pujan and observe this vrat for long, consistent and happy conjugal life. 
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मंगला गौरी जी की आरती



जय जय मंगला गौरी

मैया जय जय मंगला गौरी

सात द्वीप नौ खंड में जय-जयकार होरी

मैया जय जय मंगला गौरी



जग जननी जग माता जग विस्तार करै

मैया जग विस्तार करै

पालन पोषण करती फिर निस्तार करै

जय जय मंगला गौरी..



स्वर्ण सिंहासन बैठी,सिंह असवार फिरै

मैया सिंह असवार फिरे

अष्टभुजी माँ गौरी ले हथियार फिरै

जय जय मंगला गौरी..



रमा राधिका श्यामा नित नए रूप धरै

मैया नित नए रूप धरै

कभी गरमी कभी सरदी कभी छाया धूप करै

जय जय मंगला गौरी..



रोग शोक को नासै जग के कष्ट हरै

मैया जग के कष्ट हरै

धन यौवन की दाता तन को पुष्ट करै

जय जय मंगला गौरी..



हम सब दास हैं तेरे हम पर दया करो

मैया हम पर दया करो

श्रद्धा भगती दीजो हिरदै ज्ञान भरो

जय जय मंगला गौरी...



जय जय मंगला गौरी

मैया जय जय मंगला गौरी

सात द्वीप नौ खंड में जय-जयकार होरी

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Mangla Gauri Ji Ki Aarti




Jai Jai Mangla Gauri

Maiya Jai Jai Mangla Gauri

Saat dweep nau khand mein jai-jaikar hori

Maiya Jai Jai Mangla Gauri



Jag Janani Jagmata jagvistaar kare

Maiya jagvistaar kare

Paalan poshan karti phir nistaar kare

Jai Jai Mangla Gauri…



Swarn Singhasan Baithi Singh Aswaar Phirai

Maiya Singh Aswaar Phirai

Ashtbhuji Maan Gauri Le Hathiyaar Phirai

Jai Jai Mangla Gauri…



Rama Radhika Shyama Nit Naye Roop Dharai

Maiya Nit Naye Roop Dharai

Kabhi Garmi Kabhi Sardi Kabhi Chhaya Dhoop Karai

Jai Jai Mangla Gauri…



Rog Shok Ko Naasai Jag Ke Kasht Harai

Maiya jag ke kasht harai

 Dhan Yauvan Ki Data Tan Ko Pusht Karai

Jai Jai Mangla Gauri…



Hum Sab Daas Hain Tere Hum Par Daya Karo

Maiya Hum Par Daya Karo

Shraddha Bhagati Deejo Hirday Gyan Bharo

Jai Jai Mangla Gauri…



Jai Jai Mangla Gauri

Maiya Jai Jai Mangla Gauri

Saat Dweep Nau Khand Mein Jai-Jaikar Hori





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 उद्यापन विधि : 
*पांच वर्ष तक मंगला गौरी व्रत करने के बाद पांचवे वर्ष के श्रावण मास के अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
*उद्यापन में खाना वर्जित है ।
*मेंहदी लगाकर पूजा करनी चाहिए ।
*पूजा ब्राम्हण से करानी चाहिए ।
*एक चौकी के चार कोनों पर केले के चार थम्ब लगाकर मण्डप पर एक ओढ़नी बाँधनी चाहिए ।
*कलश पर कटोरी रखकर उसमें मंगला गौरी की स्थापना करनी चाहिए ।
*साड़ी, नथ व सुहाग की सभी वस्तुएं रखनी चाहिए ।
*हवन के उपरान्त कथा सुनकर आरती करनी चाहिए ।
*चांदी के बर्तन में आटे के सोलह लड्डू, पया एवं साड़ी सासूजी को देकर उनके पैर छूने चाहिए।
*पूजा कराने वाले पंडित को भी भोजन कराकर धोती व अंगोछा देना चाहिए।
*अगले दिन सोलह ब्राम्हणों को जोड़े सहित भोजन कराकर धोती, अंगोछा तथा ब्राम्हणों को और ब्राम्हणियों को सुहाग-पिटारी देनी चाहिए। सुहाग पिटारी में सुहाग का सामान व साड़ी होती है ।
*इतना सब करने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए

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1 comment:

  1. I love all these Indian Festivals and routines. Rakshabandhan is my favorite. Because I love my dear big bro. the most. Without him I can't imagine my life. !!

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