Ram Charit Manas Chaupai or Mantra Benefits:
*Sri
Ram Charita Manas is an epic Indian poem in the Awadhi dialect of Hindi,
composed by the 16th-century Indian poet, Goswami Tulsidas.
*Ramcharitmanas
literally means the "lake of the deeds of Rama."
*Tulsidas
compared the seven Kāndas (literally 'books', cognate with cantos) of the epic
to seven steps leading into the holy waters of a Himalayan lake (Mānasa, as in
Lake Mansarovar) which "which purifies the body and the soul at once.*
*The
core of the work is a poetic retelling of the events of the Sanskrit epic
Ramayana, centered on the narrative of Rama, the crown prince of Ayodhya.
*It was the attempt of Tulsidas to reconcile
the different stories of Rama and to bring the story within the reaches of the
common man.
*It
enjoys a unique place among the classics of the world’s literature.
* Ramcharitramanas is full of Holy
Mantra/Chaupais.
*Each Chaupai (quatrain) of
Ramcharitmanas has miraculous effect.
* तुलसीदास जी श्री रामचरित
मानस के रचयिता थे। साथ ही वे उच्च कोटि के मंत्रसृष्टा थे।
*रामचरित मानस की हर चौपाई मंत्र की तरह सिद्ध है।
*रामचरित मानस कामधेनु की तरह मनोवांछित फल देती
हैं।
*रामचरित मानस में कुछ चौपाइयां ऐसी हैं जिनका विपत्तियों
तथा संकट से बचाव और ऋद्धि- सिद्धि तथा सम्पत्ति की प्राप्ति के लए मंत्रोच्चारण के
साथ पाठ किया जाता है।
* इन चौपाइयों का श्रद्धापूर्वक नित्य पाठ करने सारी
मनोकामनाऐं पूर्ण हो जाती हैं।
* चौपाइयां सिद्ध करने के लिए :-
इन चौपाइयों को मंत्र की तरह विधि विधान पूर्वक एक
सौ आठ बार हवन की सामग्री से सिद्ध किया जाता है। हवन चंदन के बुरादे, जौ, चावल, शुद्ध
केसर, शुद्ध घी, तिल, शक्कर, अगर, तगर, कपूर नागर मोथा, पंचमेवा आदि के साथ निष्ठापूर्वक
मंत्रोच्चार के समय काशी बनारस का ध्यान करें।
*किस कामना की पूर्ति के लिए किस चौपाई का जप करना
चाहिए इसका एक संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है:
ऋद्धि सिद्धि
की प्राप्ति
के लिए
साधक नाम जपहिं लय लाएं।
होहि सिद्धि अनिमादिक पाएं।।
होहि सिद्धि अनिमादिक पाएं।।
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धन सम्पत्ति
की प्राप्ति
हेतु
जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं।
सुख सम्पत्ति नानाविधि पावहिं
सुख सम्पत्ति नानाविधि पावहिं
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लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए
जिमि सरिता सागर मंहु जाही।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएं।
धर्मशील पहिं जहि सुभाएं।।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएं।
धर्मशील पहिं जहि सुभाएं।।
~*~*~
वर्षा की कामना की पूर्ति
हेतु
सोइ जल अनल अनिल संघाता।
होइ जलद जग जीवनदाता।।
होइ जलद जग जीवनदाता।।
~*~*~
सुख प्राप्ति
के लिए
सुनहि विमुक्त बिरत अरू विबई।
लहहि भगति गति संपति नई।।
लहहि भगति गति संपति नई।।
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शास्त्रार्थ में विजय पाने के लिए
तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा।
आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।।
आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।।
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विद्या प्राप्ति
के लिए
गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई।
अलपकाल विद्या सब आई।।
अलपकाल विद्या सब आई।।
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ज्ञान प्राप्ति
के लिए
छिति जल पावक गगन समीरा।
पंचरचित अति अधम शरीरा।।
पंचरचित अति अधम शरीरा।।
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प्रेम वृद्धि
के लिए
सब नर करहिं परस्पर प्रीती।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीती।।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीती।।
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परीक्षा में सफलता के लिए
जेहि पर कृपा करहिं जनुजानी।
कवि उर अजिर नचावहिं बानी।।
मोरि सुधारहिं सो सब भांती।
जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।।
कवि उर अजिर नचावहिं बानी।।
मोरि सुधारहिं सो सब भांती।
जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।।
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विपत्ति में सफलता के लिए
राजिव नयन धरैधनु सायक।
भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।।
भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।।
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संकट से रक्षा के लिए
जौं प्रभु दीन दयाल कहावा।
आरतिहरन बेद जसु गावा।।
जपहि नामु जन आरत भारी।
मिंटहि कुसंकट होहि सुखारी।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।
आरतिहरन बेद जसु गावा।।
जपहि नामु जन आरत भारी।
मिंटहि कुसंकट होहि सुखारी।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।
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विघ्न विनाश
के लिए
सकल विघ्न व्यापहि नहिं तेही।
राम सुकृपा बिलोकहिं जेही।।
राम सुकृपा बिलोकहिं जेही।।
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दरिद्रता दूर करने हेतु
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के ।
कामद धन दारिद्र दवारिके।।
कामद धन दारिद्र दवारिके।।
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अकाल मृत्यु
से रक्षा
हेतु
नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित प्रान केहि बात।।
लोचन निज पद जंत्रित प्रान केहि बात।।
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विविध रोगों,
उपद्रवों आदि से रक्षा हेतु
दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम काज नहिं काहुहिं व्यापा।।
राम काज नहिं काहुहिं व्यापा।।
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विष नाश के लिए
नाम प्रभाऊ जान सिव नीको।
कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।
कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।
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खोई हुई वस्तु की पुनः
प्राप्ति हेतु
गई बहारे गरीब नेवाजू।
सरल सबल साहिब रघुराजू।।
सरल सबल साहिब रघुराजू।।
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महामारी, हैजा
आदि से रक्षा हेतु
जय रघुवंश वन भानू।
गहन दनुज कुल दहन कूसानू।।
गहन दनुज कुल दहन कूसानू।।
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मस्तिष्क पीड़ा
से रक्षा
हेतु
हनुमान अंगद रन गाजे।
होक सुनत रजनीचर भाजे।।
होक सुनत रजनीचर भाजे।।
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शत्रु को मित्र बनाने के लिए
गरल सुधा रिपु करहि मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
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शत्रुता दूर करने के लिए
वयरू न कर काहू सन कोई।
रामप्रताप विषमता खोई।।
रामप्रताप विषमता खोई।।
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भूत प्रेत
के भय से मुक्ति के लिए
प्रनवउ पवन कुमार खल बन पावक ग्यान धुन।
जासु हृदय आगार बसहि राम सर चाप घर।।
जासु हृदय आगार बसहि राम सर चाप घर।।
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सफल यात्रा
के लिए
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
हृदय राखि कौशलपुर राजा।।
हृदय राखि कौशलपुर राजा।।
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पुत्र प्राप्ति
हेतु
प्रेम मगन कौशल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।
सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।
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मनोरथ की
सिद्धि हेतु
भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहि जे नर अरू नारि।
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहि त्रिसरारी।।
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहि त्रिसरारी।।
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हनुमान भक्ति
हेतु
सुमिरि पवन सुत पावन नामू।
अपने बस करि राखे रामू।।
अपने बस करि राखे रामू।।
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विचार की शुद्धि हेतु
ताके जुग पद कमल मनावऊं।
जासु कृपा निरमल मति पावऊं।।
जासु कृपा निरमल मति पावऊं।।
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ईश्वर से क्षमा हेतु
अनुचित बहुत कहेउं अग्याता।
छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।।
छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।।
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