सुखमनी साहिब - ३




असटपदी : ७ -
 (७)
सलोकु
अगम अगाधि पारब्रहमु सोइ
जो जो कहै सु मुकता होइ
सुनि मीता नानकु बिनवंता
साध जना की अचरज कथा ॥१॥
असटपदी
साध कै संगि मुख ऊजल होत
साधसंगि मलु सगली खोत
साध कै संगि मिटै अभिमानु
साध कै संगि प्रगटै सुगिआनु
साध कै संगि बुझै प्रभु नेरा
साधसंगि सभु होत निबेरा
साध कै संगि पाए नाम रतनु
साध कै संगि एक ऊपरि जतनु
साध की महिमा बरनै कउनु प्रानी
नानक साध की सोभा प्रभ माहि समानी ॥१॥
साध कै संगि अगोचरु मिलै
साध कै संगि सदा परफुलै
साध कै संगि आवहि बसि पंचा
साधसंगि अम्रित रसु भुंचा
साधसंगि होइ सभ की रेन
साध कै संगि मनोहर बैन
साध कै संगि कतहूं धावै
साधसंगि असथिति मनु पावै
साध कै संगि माइआ ते भिंन
साधसंगि नानक प्रभ सुप्रसंन ॥२॥
साधसंगि दुसमन सभि मीत
साधू कै संगि महा पुनीत
साधसंगि किस सिउ नही बैरु
साध कै संगि बीगा पैरु
साध कै संगि नाही को मंदा
साधसंगि जाने परमानंदा
साध कै संगि नाही हउ तापु
साध कै संगि तजै सभु आपु
आपे जानै साध बडाई
नानक साध प्रभू बनि आई ॥३॥
साध कै संगि कबहू धावै
साध कै संगि सदा सुखु पावै
साधसंगि बसतु अगोचर लहै
साधू कै संगि अजरु सहै
साध कै संगि बसै थानि ऊचै
साधू कै संगि महलि पहूचै
साध कै संगि द्रिड़ै सभि धरम
साध कै संगि केवल पारब्रहम
साध कै संगि पाए नाम निधान
नानक साधू कै कुरबान ॥४॥
साध कै संगि सभ कुल उधारै
साधसंगि साजन मीत कुट्मब निसतारै
साधू कै संगि सो धनु पावै
जिसु धन ते सभु को वरसावै
साधसंगि धरम राइ करे सेवा
साध कै संगि सोभा सुरदेवा
साधू कै संगि पाप पलाइन
साधसंगि अम्रित गुन गाइन
साध कै संगि स्रब थान गमि
नानक साध कै संगि सफल जनम ॥५॥
साध कै संगि नही कछु घाल
दरसनु भेटत होत निहाल
साध कै संगि कलूखत हरै
साध कै संगि नरक परहरै
साध कै संगि ईहा ऊहा सुहेला
साधसंगि बिछुरत हरि मेला
जो इछै सोई फलु पावै
साध कै संगि बिरथा जावै
पारब्रहमु साध रिद बसै
नानक उधरै साध सुनि रसै ॥६॥
साध कै संगि सुनउ हरि नाउ
साधसंगि हरि के गुन गाउ
साध कै संगि मन ते बिसरै
साधसंगि सरपर निसतरै
साध कै संगि लगै प्रभु मीठा
साधू कै संगि घटि घटि डीठा
साधसंगि भए आगिआकारी
साधसंगि गति भई हमारी
साध कै संगि मिटे सभि रोग
नानक साध भेटे संजोग ॥७॥
साध की महिमा बेद जानहि
जेता सुनहि तेता बखिआनहि
साध की उपमा तिहु गुण ते दूरि
साध की उपमा रही भरपूरि
साध की सोभा का नाही अंत
साध की सोभा सदा बेअंत
साध की सोभा ऊच ते ऊची
साध की सोभा मूच ते मूची
साध की सोभा साध बनि आई
नानक साध प्रभ भेदु भाई ॥८॥७॥
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(८)
सलोकु
मनि साचा मुखि साचा सोइ
अवरु पेखै एकसु बिनु कोइ
नानक इह लछण ब्रहम गिआनी होइ ॥१॥
असटपदी
ब्रहम गिआनी सदा निरलेप
जैसे जल महि कमल अलेप
ब्रहम गिआनी सदा निरदोख
जैसे सूरु सरब कउ सोख
ब्रहम गिआनी कै द्रिसटि समानि
जैसे राज रंक कउ लागै तुलि पवान
ब्रहम गिआनी कै धीरजु एक
जिउ बसुधा कोऊ खोदै कोऊ चंदन लेप
ब्रहम गिआनी का इहै गुनाउ
नानक जिउ पावक का सहज सुभाउ ॥१॥
ब्रहम गिआनी निरमल ते निरमला
जैसे मैलु लागै जला
ब्रहम गिआनी कै मनि होइ प्रगासु
जैसे धर ऊपरि आकासु
ब्रहम गिआनी कै मित्र सत्रु समानि
ब्रहम गिआनी कै नाही अभिमान
ब्रहम गिआनी ऊच ते ऊचा
मनि अपनै है सभ ते नीचा
ब्रहम गिआनी से जन भए
नानक जिन प्रभु आपि करेइ ॥२॥
ब्रहम गिआनी सगल की रीना
आतम रसु ब्रहम गिआनी चीना
ब्रहम गिआनी की सभ ऊपरि मइआ
ब्रहम गिआनी ते कछु बुरा भइआ
ब्रहम गिआनी सदा समदरसी
ब्रहम गिआनी की द्रिसटि अम्रितु बरसी
ब्रहम गिआनी बंधन ते मुकता
ब्रहम गिआनी की निरमल जुगता
ब्रहम गिआनी का भोजनु गिआन
नानक ब्रहम गिआनी का ब्रहम धिआनु ॥३॥
ब्रहम गिआनी एक ऊपरि आस
ब्रहम गिआनी का नही बिनास
ब्रहम गिआनी कै गरीबी समाहा
ब्रहम गिआनी परउपकार उमाहा
ब्रहम गिआनी कै नाही धंधा
ब्रहम गिआनी ले धावतु बंधा
ब्रहम गिआनी कै होइ सु भला
ब्रहम गिआनी सुफल फला
ब्रहम गिआनी संगि सगल उधारु
नानक ब्रहम गिआनी जपै सगल संसारु ॥४॥
ब्रहम गिआनी कै एकै रंग
ब्रहम गिआनी कै बसै प्रभु संग
ब्रहम गिआनी कै नामु आधारु
ब्रहम गिआनी कै नामु परवारु
ब्रहम गिआनी सदा सद जागत
ब्रहम गिआनी अह्मबुधि तिआगत
ब्रहम गिआनी कै मनि परमानंद
ब्रहम गिआनी कै घरि सदा अनंद
ब्रहम गिआनी सुख सहज निवास
नानक ब्रहम गिआनी का नही बिनास ॥५॥
ब्रहम गिआनी ब्रहम का बेता
ब्रहम गिआनी एक संगि हेता
ब्रहम गिआनी कै होइ अचिंत
ब्रहम गिआनी का निरमल मंत
ब्रहम गिआनी जिसु करै प्रभु आपि
ब्रहम गिआनी का बड परताप
ब्रहम गिआनी का दरसु बडभागी पाईऐ
ब्रहम गिआनी कउ बलि बलि जाईऐ
ब्रहम गिआनी कउ खोजहि महेसुर
नानक ब्रहम गिआनी आपि परमेसुर ॥६॥
ब्रहम गिआनी की कीमति नाहि
ब्रहम गिआनी कै सगल मन माहि
ब्रहम गिआनी का कउन जानै भेदु
ब्रहम गिआनी कउ सदा अदेसु
ब्रहम गिआनी का कथिआ जाइ अधाख्यरु
ब्रहम गिआनी सरब का ठाकुरु
ब्रहम गिआनी की मिति कउनु बखानै
ब्रहम गिआनी की गति ब्रहम गिआनी जानै
ब्रहम गिआनी का अंतु पारु
नानक ब्रहम गिआनी कउ सदा नमसकारु ॥७॥
ब्रहम गिआनी सभ स्रिसटि का करता
ब्रहम गिआनी सद जीवै नही मरता
ब्रहम गिआनी मुकति जुगति जीअ का दाता
ब्रहम गिआनी पूरन पुरखु बिधाता
ब्रहम गिआनी अनाथ का नाथु
ब्रहम गिआनी का सभ ऊपरि हाथु
ब्रहम गिआनी का सगल अकारु
ब्रहम गिआनी आपि निरंकारु
ब्रहम गिआनी की सोभा ब्रहम गिआनी बनी
नानक ब्रहम गिआनी सरब का धनी ॥८॥८॥

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(९)
सलोकु
उरि धारै जो अंतरि नामु
सरब मै पेखै भगवानु
निमख निमख ठाकुर नमसकारै
नानक ओहु अपरसु सगल निसतारै ॥१॥
असटपदी
मिथिआ नाही रसना परस
मन महि प्रीति निरंजन दरस
पर त्रिअ रूपु पेखै नेत्र
साध की टहल संतसंगि हेत
करन सुनै काहू की निंदा
सभ ते जानै आपस कउ मंदा
गुर प्रसादि बिखिआ परहरै
मन की बासना मन ते टरै
इंद्री जित पंच दोख ते रहत
नानक कोटि मधे को ऐसा अपरस ॥१॥
बैसनो सो जिसु ऊपरि सुप्रसंन
बिसन की माइआ ते होइ भिंन
करम करत होवै निहकरम
तिसु बैसनो का निरमल धरम
काहू फल की इछा नही बाछै
केवल भगति कीरतन संगि राचै
मन तन अंतरि सिमरन गोपाल
सभ ऊपरि होवत किरपाल
आपि द्रिड़ै अवरह नामु जपावै
नानक ओहु बैसनो परम गति पावै ॥२॥
भगउती भगवंत भगति का रंगु
सगल तिआगै दुसट का संगु
मन ते बिनसै सगला भरमु
करि पूजै सगल पारब्रहमु
साधसंगि पापा मलु खोवै
तिसु भगउती की मति ऊतम होवै
भगवंत की टहल करै नित नीति
मनु तनु अरपै बिसन परीति
हरि के चरन हिरदै बसावै
नानक ऐसा भगउती भगवंत कउ पावै ॥३॥
सो पंडितु जो मनु परबोधै
राम नामु आतम महि सोधै
राम नाम सारु रसु पीवै
उसु पंडित कै उपदेसि जगु जीवै
हरि की कथा हिरदै बसावै
सो पंडितु फिरि जोनि आवै
बेद पुरान सिम्रिति बूझै मूल
सूखम महि जानै असथूलु
चहु वरना कउ दे उपदेसु
नानक उसु पंडित कउ सदा अदेसु ॥४॥
बीज मंत्रु सरब को गिआनु
चहु वरना महि जपै कोऊ नामु
जो जो जपै तिस की गति होइ
साधसंगि पावै जनु कोइ
करि किरपा अंतरि उर धारै
पसु प्रेत मुघद पाथर कउ तारै
सरब रोग का अउखदु नामु
कलिआण रूप मंगल गुण गाम
काहू जुगति कितै पाईऐ धरमि
नानक तिसु मिलै जिसु लिखिआ धुरि करमि ॥५॥
जिस कै मनि पारब्रहम का निवासु
तिस का नामु सति रामदासु
आतम रामु तिसु नदरी आइआ
दास दसंतण भाइ तिनि पाइआ
सदा निकटि निकटि हरि जानु
सो दासु दरगह परवानु
अपुने दास कउ आपि किरपा करै
तिसु दास कउ सभ सोझी परै
सगल संगि आतम उदासु
ऐसी जुगति नानक रामदासु ॥६॥
प्रभ की आगिआ आतम हितावै
जीवन मुकति सोऊ कहावै
तैसा हरखु तैसा उसु सोगु
सदा अनंदु तह नही बिओगु
तैसा सुवरनु तैसी उसु माटी
तैसा अम्रितु तैसी बिखु खाटी
तैसा मानु तैसा अभिमानु
तैसा रंकु तैसा राजानु
जो वरताए साई जुगति
नानक ओहु पुरखु कहीऐ जीवन मुकति ॥७॥
पारब्रहम के सगले ठाउ
जितु जितु घरि राखै तैसा तिन नाउ
आपे करन करावन जोगु
प्रभ भावै सोई फुनि होगु
पसरिओ आपि होइ अनत तरंग
लखे जाहि पारब्रहम के रंग
जैसी मति देइ तैसा परगास
पारब्रहमु करता अबिनास
सदा सदा सदा दइआल
सिमरि सिमरि नानक भए निहाल ॥८॥९॥
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